जनसंपर्क में जुटे दोनों प्रत्याशी, भगत के पास कार्यकर्ताओं की फौज तो टोप्पो कार्यकर्ताओं से सामंजस्य बैठा रहे हैं
सरगुजा/ वर्तमान संदेश न्यूज/ कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले सरगुजा के सीतापुर विधानसभा में कांग्रेस ने एक बार फिर से क्षेत्र से चार बार विधायक रहे व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत को टिकट दे दिया है. वहीं भाजपा ने सेना की सेवा से रिटायर्ड हुए फौजी राम कुमार टोप्पो पर दांव लगाते हुए उन्हें टिकट दिया है. इस बीच राम कुमार टोप्पो के द्वारा जिस प्रकार से क्षेत्र में सघन जनसंपर्क करते हुए ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया जा रहा है उसे तो यही अनुमान लगाया जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सीतापुर में कुछ नया होने वाला है. राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा ने आजादी के बाद से सरगुजा के इस सीट में अब तक एक बार भी जीत हासिल नहीं कर सकी है. जिसके कारण भी यह विधानसभा पार्टी की नाक की बात हो गई है. राज्य गठन के बाद 2003 में निर्दलीय विधायक प्रोफेसर गोपाल राम का टिकट काट कर अमरजीत भगत को प्रत्याशी बनाया गया था.उस समय अमरजीत भगत ने राजाराम भगत को साढ़े चार हजार से ज्यादा वोटों से पराजित किया.2008 में कद्दावर भाजपा नेता गणेश राम भगत को डेढ़ हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया.2013 के चुनाव में अमरजीत भगत ने पुनः राजा राम भगत को पराजित किया.2018 के चुनाव में अमरजीत भगत ने प्रोफेसर गोपाल राम को 36 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया. ऐसे में इस बार रामकुमार टोप्पो को भाजपा ने मैदान में अमरजीत भगत के विरुद्ध चुनाव में उतारा है.रामकुमार टोप्पो को क्षेत्र की जनता ने 4 हजार से ज्यादा खत लिखकर चुनाव लड़ने का निवेदन किया था.ऐसा अगर सही है आगामी विधानसभा चुनाव उतना सरल नहीं होगा जितना पिछले चुनाव में होता रहा है. वही रामकुमार टोप्पो ने तिरंगा यात्रा निकाल कर चर्चा में आये और इस यात्रा में हजारों का जनसमूह उमड़ा था. जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है इसके बाद भाजपा रास्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की जशपुर रैली में एक हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा ज्वॉइन किया.रामकुमार टोप्पो ने सीतापुर विधानसभा के अंतिम छोर केरजु से किसान सम्मान यात्रा दर्जनों ट्रैक्टरों के साथ निकाली.यह यात्रा नावानगर में सभा के रूप समाप्त हुई.यह यात्रा 90 किलोमीटर की थी. यानि यह कहा जा सकता की रामकुमार टोप्पो जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में एक के बाद एक कार्यक्रम करने में क्या कहें पॉलिटिकल मैनेजमेंट में माहिर है. जिसका लाभ उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में मिल सकता है.
वही इसके जबाब स्वरूप अमरजीत भगत की रैली भी जबरदस्त देखीं गई है. लेकिन इतना तो तय की अमरजीत भगत के पास कार्यकर्ताओं की एक लम्बी चौड़ी फौज है वहीं उनका बड़ा पुत्र आदित्य भगत के द्वारा मैदानी स्तर पर हर एक गतिविधि पर पैनी नजर बनाए रखने में माहिर हैं जिससे अमरजीत भगत को हर छोटी-बड़ी खबर की जानकारी समय से मिलती है.
पार्टी कार्यकर्ताओं से सामंजस्य बना महत्वपूर्ण
किसी भी चुनाव को जीतने के लिए हर पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं से बेहतर से बेहतर सामंजस्य स्थापित करना ही पॉलिटिकल मैनेजमेंट की पहली सीढ़ी है. लेकिन रामकुमार टोप्पो के भाजपा में अचानक आने से संगठन और कार्यकर्ताओं में सामंजस्य बन पा रहा..? रामकुमार टोप्पो ने थोड़े समय मे ही अधिकतर ग्रामों में अपनी बैठके कर नव युवकों की बड़ी टीम बना ली है लेकिन संगठन के कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ गया है,कारण प्रत्याशी के द्वारा संगठन के कार्यकर्ताओं को तवज्जो नही दिया जाना।अभी संगठन और प्रत्याशी के रास्ते अलग दिख रहे हैं। इसके उलट अमरजीत भगत के कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है.जगह जगह कार्यालय खोले जा रहे हैं संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है।
एन्टी इनकम्बेंसी का सामना करना पड़ सकता है वर्तमान विधायक को
राजनीति के जानकारो की मानें तो अमरजीत भगत को इस विधानसभा चुनाव में एन्टी इनकम्बेंसी का सामना करना पड़ सकता है.तीन बार विधायक रहे और चौथी बार के काल मे मंत्री बने अमरजीत भगत पुराने कार्यकर्ताओं के अपेक्षाओं पर खरे नही उतरे हैं।सीतापुर विधानसभा में जमीन घोटाले,चिरंगा एल्युमिना फैक्टरी और अधिकारियों की निरंकुशता क्षेत्र में नया समीकरण बना सकता है.