कुशल नेतृत्व व सहयोगात्मक रवैया के कारण राजनीति में एक अलग पहचान है युवा नेता दानिश रफीक का

vartamansandesh

संघर्षों से भरा रहा है राजनीति जीवन, युवाओं में जबरदस्त पैंठ

अम्बिकापुर/ वर्तमान संदेश न्यूज/ कांग्रेस के युवा नेता दानिश रफिक को उनके कार्यो व नेतृत्व क्षमता से आज छत्तीसगढ़ सहित पूरे सरगुजा में कोई परिचय के मोहताज नहीं है. हर कोई दानिश रफिक के सहयोगात्मक रवैया के कारण इनसे जुड़े रहना चाहता है. यही कारण है कि आज इनके पास युवाओं का एक बड़ा समूह है जोकि इनको अपना आदर्श व नेतृत्वकर्ता मानता है.
दानिश रफिक ने अपने कार्यो के बदौलत कांग्रेस में एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसे हासिल करने में बड़े से बड़े नेताओं को लंबा समय गुजारना करना पड़ता है. हालांकि राजनीति में एक मुकाम हासिल करने में इस युवा नेता ने अपनी अभी तक की जिन्दगी में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं लेकिन कभी भी हिम्मत नहीं हारा और हर बार एक नयी उर्जा के साथ अपने प्रतिद्वंदियों को पीछे धकेलते हुए आगे बढ़ते जा रहा है. आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि इस युवा नेता के परिवार की कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है अपने दम और अपने काबिलियत के भरोसे ही यह युवा नेता आज तक राजनीति के विशाल समंदर में गोते लगा रहा है.

पिता इंजीनियर माता गृहणी, परिवार का राजनीति से दूर दूर तक कोई नाता नहीं

कांग्रेस के युवा नेता दानिश रफिक को करीब से जाने वाले लोगों की माने तो इस युवा नेता की ननिहाल व दादा के परिवार में दूर-दूर तक राजनीतिक से किसी का कोई लेना देना नहीं है. मूलत मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के रहने वाले दानिश रफिक के पिता इंजीनियर रफिक अली अभिभाजित मध्य प्रदेश के दौरान सिंचाई विभाग बतौर सब इंजीनियर के पद नियुक्ति हुई थी.1980 में दानिश के जन्म के दो साल बाद इनके पिता का ट्रांसफर अंबिकापुर में हो गया तब से लेकर आज तक ये अंबिकापुर के ही बनकर रह गए. दानिश की प्रारंभिक शिक्षा होली क्रॉस कार्वेन्ट स्कूल में हुई. इसके बाद इन्होंने सेंट जेवियर्स के बाद मल्टीपरपज हाई स्कूल में हाई स्कूल की पढ़ाई पुरी की है. हम आपको बता दें कि स्कूल के समय दानिश डिफेंस में जाने का पूरा मन बना चुके थे जिसके कारण ही उन्होंने स्काउट गाइड के बाद जूनियर डिविजन( JD )एनसीसी में बेहतरीन प्रदान करते हुए राजपथ पर परेड करने का श्रेय हासिल किया है इनके बाद आज तक अंबिकापुर से जूनियर डिवीजन में कोई भी दिल्ली के राजपथ पर कोई परेड नहीं कर सकता है. कालेज की शिक्षा भी इन्हें ने पीजी कॉलेज अम्बिकापुर से पुर्ण करते हुए कानून की डिग्री हासिल किया है.एनसीसीA, B व C सर्टिफिकेट की परीक्षा A ग्रेड से पास की है. 2002 में दानिश रफिक ने NCC सीनियर डिवीजन में सीनियर अंडर ऑफिसर रहते हुए 26 जनवरी की परेड में छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश का नेतृत्व करते हुए राजपथ में परेड में भाग लिया था इसके लिए इन्हें राष्ट्रपति से पदक भी प्राप्त हो चुका है. दानिश के मित्रों की माने तो दानिश कालेज में ही एनएसयूआई छात्र संगठन ज्वाइन करते हुए छात्र राजनीतिक की ओर धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू कर दिए थे. नेतृत्व करने की कमाल की क्षमता दानिश में स्कूल के दौर से है. लेकिन कालेज में ये अपनी नेतृत्व क्षमता के बल पर ही छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करते हुए उनकी समस्याओं को कॉलेज प्रबंधन के सामने में रखते हुए आगे बढ़ते चले गए. यही कारण है कि वर्ष 1998 से 2000 तक ये एनएसयूआई के ब्लाक अध्यक्ष रहे.

राजनीति में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं इस युवा नेता ने

कांग्रेस के युवा नेता दानिश रफीक को विरासत में 1 इंच भी राजनीतिक भूमि नहीं मिली है जाहिर है उनके वालिद एक सरकारी मुलाजिम है और सरगुजा में दूर-दूर तक इनका कोई रिश्तेदार नहीं रहता है ऐसी स्थिति में इस युवा नेता ने न सिर्फ राजनीति का एक मैदान अपने लिए बनाया बल्कि उसे मैदान से बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए दिग्गज नेताओं को परास्त कर दिया जाहिर इस दौरान इस युवा नेता को अपने मोहल्ला सहित अंबिकापुर के कई बड़े नेताओं से टक्कर लेना पड़ा. बावजूद खुद इस नेता ने अपने आंसू पूछा और खुद को संभालते हुए राजनीति के टेढ़े मेढे रास्तों से आगे बढ़ते हुए अपना एक मुकाम बना लिया है.

छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत प्रमोद जोगी के काफी करीब थे दानिश

वर्ष 2000 में जैसे ही छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया इस प्रदेश की कमान कांग्रेस के तब के दिग्गज नेता अजीत प्रमोद योगी के हाथों में दी गई हालांकि कमान मात्र 3 साल ही अजीत जोगी जी संभाल सके इसके बाद भाजपा ने अपना परचम लहरा दिया. लेकिन इसके बाद कांग्रेस में जो उथल-पुथल मची उसे हर कोई वाकिफ है इस दौरान कांग्रेस के इस युवा नेता को भी काफी समस्याओं को सामना करना पड़ा लेकिन इसी दौरान अजीत प्रमोद योगी ने इस युवा को थमते हुए कांग्रेस की बुलंदी तक पहुंचा दिया. NSUI छात्र संगठन से निकला दानिश 2014 से 2016 तक भारतीय युवा कांग्रेस दिल्ली का प्रोविजनली सचिव रहा यही नहीं वर्ष 2015 में भारतीय युवा कांग्रेस डेलिगेशन सदस्य रहते हुए तुर्की का भ्रमण किया.
इसके साथ ही इस युवा नेता को कांग्रेस ने बिहार युवा कांग्रेस का प्रभारी 2014 से 2016 तक बनाया. दानिश पर कांग्रेस ने भरोसा जताते हुए उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब में काफी जिम्मेदारी दिए जिसे इन्होंने पूरा करते हुए कांग्रेस की कसौटी में खरा उतरा.
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