मां महामाया मंदिर के भाव्य प्रवेश द्वार का भूमि पूजन डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव करेंगें 27 को

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श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शफी अहमद व पार्षदों ने एक भव्य प्रवेश द्वार के लिए किया था पहल

50 लाख रुपय की लागत से 50 फिट चौडे और 25 फिट उॅंचे भव्य प्रवेश द्वार का होगा निर्माण 

अम्बिकापुर/ वर्तमान संदेश न्यूज/ उत्तर छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख शक्तिपीठों में एक माँ महामाया मंदिर हेतु श्रद्धालुओं की बहु प्रतीक्षित मांग पर भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण अब जल्द होगा इसके लिए बुधवार 27 सितंबर को उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव माँ महामाया मंदिर के प्रवेश द्वार का भूमिपूजन करेंगे.
करीब 50 लाख रुपय की लागत से 50 फिट चौडे और 25 फिट उॅंचे भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण नगर पालिक निगम अम्बिकापुर के द्वारा कराया जा रहा है.
पूर्व में सद्भावना चौक से महामाया मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर प्रवेश द्वार मौजूद था, लेकिन एक सडक दुर्घटना में यह ध्वस्त हो गया था. करीब 1 वर्ष पूर्व श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शफी अहमद ने साथी पार्षदों के साथ एक भव्य प्रवेश द्वार के लिए पहल प्रारंभ किया था एवं अपने पार्षद निधी को इस हेतु व्यय करने का प्रस्ताव दिया था. इस पहल ने पूरे शहर के निवासियों नये प्रवेश द्वार के साथ ही मंदिर तक भव्य कॉरिडोर के निर्माण के लिए एकजुट किया. इस परिपेक्ष्य में औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक जी के निवास पर सर्व समाज की बैठक में इसपर सहमति बना कर अम्बिकापुर के महापौर डॉ अजय तिर्की को प्रशासकीय प्रक्रिया पूर्ण करने का अनुरोध किया.उनके व नगर निगम के प्रयास से भव्य द्वारा का ड्राइंग डिजाइन व बजट तैयार हुआ।उपमुख्यमंत्री सिंहदेव के पहल पर नगरीय प्रशासन विभाग के द्वारा इस हेतु लगभग 49.30 लाख रुपए स्वीकृत किये हैं.इस भव्य द्वार के भूमिपूजन के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रवेश द्वार मॉं महामाया मंदिर मार्ग के सौदर्यीकरण की शुरुआत भर है. उन्होंने कहा कि द्वार के आगे के मार्ग पर कॉरीडोर के साथ ही सडक किनारे फूटपाथ का निर्माण होगा और लाईटिंग का काम होगा.

सरगुजा राजपरिवार की कुलदेवी हैं मां महामाया

सरगुजा राज परिवार का इतिहास काफी गौरवान्वित पूर्ण रहा है यहां के जितने भी महाराज हुए उन्होंने समाज को जोड़ने एवं समाज के हर तबके के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आज भी अम्बिकापुर ही नहीं सम्पूर्ण सरगुजा संभाग में राजपरिवार द्वारा बसाए गए कस्बे, गांव,मोहल्ले के साथ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च इस बात के प्रमाण है कि इन्होंने किसी के साथ कभी कोई भेदभाव नहीं किया है. लेकिन अपने धर्म के प्रति भी इनकी उतना ही निष्ठा, विश्वास व ईमानदारी भी देखी गई है सरगुजा राज परिवार की कुलदेवी मां महामाया देवी हैं जिनका मंदिर अम्बिकापुर के महामाया पहाड़ से लगा हुआ हुआ जहां सैकड़ो वर्षों से सरगुजा राज परिवार हर नवरात्रि पर विशिष्ट पूजा अर्चना करती है.आपको बता दें कि आज भी महामाया मंदिर के गर्भगृह में केवल महाराज सरगुजा को ही जाने की अनुमति है.
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